बच्चे का करा रहे हैं प्रवेश तो पहले जांच लें स्कूल की मान्यता
संवाददाता
बस्ती। एक अप्रैल से विद्यालय में नए सत्र की शुरूआत हो गई है। निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए मारामारी होगी। यदि आप अपने बच्चों का किसी स्कूल में दाखिला कराने की सोच रहे हैं तो सावधानी बरतें। प्रवेश दिलाने से पहले स्कूल की मान्यता जरूर जांच लें। जिले में कई स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं।
मार्च की शुरूआत से ही स्कूलों में नए सत्र के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई थी। हर स्कूल संचालक ज्यादा से ज्यादा अभिभावकों को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है।
अगर आप भी अपने बच्चे का प्रवेश कराने जा रहे हैं तो आपको किन बातों का ध्यान देना है और किस तरह आप स्कूल के बारे में सही, सटीक और पूरी जानकारी कर सकते हैं।
आठवीं तक लेनी होती है बीएसए से मान्यता
जिले में कई स्कूल कई तरीकों से अंग्रेजी के शब्दों के साथ बोर्ड का नाम लिखकर अभिभावकों को गुमराह करने का काम करते हैं। सबसे ज्यादा गुमराह सीबीएसई बोर्ड के नाम पर किया जा रहा है। शहर में केंद्रीय विद्यालय समेत लगभग 48 स्कूल मान्यता प्राप्त है। वहीं, 401 स्कूल यूपी बोर्ड से संचालित किए जा रहे हैं। इन स्कूलों में प्ले ग्रुप, क्लास एक से आठवीं तक की मान्यता तो यूपी सरकार के ऑफिस यानि बीएसए ऑफिस से लेनी होती है। इसके बाद आगे की मान्यता के लिए एनओसी के बाद नौवीं से 12वीं तक की मान्यता
अभिभावकों को लुभावने ऑफर दे रहे हैं स्कूल संचालक
बीएसए अनूप कुमार ने बताया कि प्रवेश के समय अभिभावकों को स्कूलों से मान्यता के कागजात देखने का अधिकार है। पहले से आठवीं तक कक्षा में प्रवेश दिला रहे हैं तो आरटीई पोर्टल पर जाकर स्कूलों की
संबंधित बोर्ड से मिलती है। हालांकि क्लास एक से आठवीं तक के लिए बीएसए ऑफिस से मान्यता होना आवश्यक है। ऐसे पता करें स्कूल से संबंधी जानकारी
आप जिस स्कूल में अपने बच्चे का एडमिशन करवा रहे है वह किस बोर्ड या स्टेट गवर्नमेंट से एफिलिएटेड है या नहीं, इसके लिए आपको कुछ वेबसाइट्स में जाकर जांच करनी चाहिए। यूपी बोर्ड की
शिक्षक डा त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने बताया की कई स्कूलों की और से तरह-तरह के प्रलोभन देकर अहम जानकारियां छिपा रहे हैं। कई स्कूलों की तो किसी बोर्ड से संबद्धता ही नहीं है। लेकिन उनके गेट और प्रचार में वह इस तरह से नाम लिखते हैं कि लोग धोखा खा जाते हैं। स्कूल संचालकों की ओर से अभिभावकों को प्रवेश शुल्क में छूट सहित कई लुभावने ऑफर दिए जा रहे है। शहर से देहात तक हो चुकी है कार्रवाई बीते वर्षों की बात करें तो शहर से देहात तक बिना मान्यता के संचालित हो रही स्कूलों पर कार्रवाई हो चुकी है। कई को नोटिस भी दिए गए थे। इस सबके बाद भी जिले में बिना मान्यता के कई स्कूल संचालित हैं।
जानकारी कर सकते हैं। प्रवेश से संबंधित किसी भी अभिभावक या बच्चे को कोई समस्या है तो वह कार्यालय में संपर्क कर सकता है। जो विद्यालय मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं, उन पर कार्रवाई की जाएगी।
बीएसए अनूप कुमार
मान्यता से संबंधी जानकारी के लिए आपको
https://madhymikshiksha.upsdc.go v.in/en-us/details-of-schools पर विजिट करना होगा। वहीं, सीबीएसई के लिए
https://saras.cbse.gov.in/saras/Affil iatedlist/listofschool को सर्च करना होगा। इसमें जिला सिलेक्ट करने पर एफिलिएटेड स्कूलों की लिस्ट और मान्यता के बारे में आवश्यक जानकारी मिल
डीआईओएस जगदीश प्रसाद शुक्ला बताया कि प्रवेश के समय अभिभावकों को स्कूल की मान्यता की जांच कर लेनी चाहिए। बोर्ड की वेबसाइट पर जाकर आवश्यक जानकारी की जा सकती है। इसके बाद ही प्रवेश प्रक्रिया में हिस्सा लें। प्रवेश संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या के लिए कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है।
जाएगी। वहीं, स्टेट गवर्नमेंट से एफिलिएटेड क्लास एक से आठवीं तक की मान्यता जानने के लिए आरटीई पोर्टल https://rtewz.upsdc.gov.in/Rptmap pedSchoolPublic.asp& पर जाकर विजिट कर सकते हैं। जो स्कूल आरटीई में एडमिशन दे रहे हैं वह स्टेट गवर्नमेंट से
ऐसे देते है धोखा
अगर कोई स्कूल केवल कक्षा एक से आठवीं तक चल रहा है तो उसमें स्टेट गवर्नमेंट की मान्यता होगी। बच्चों को अपनी ओर खीचने के लिए स्कूल संचालक सीबीएसई पैटर्न, टू-बी एफिलिएटेड विद सीबीएसई और लाइकली टू-बी एफिलिएटेड विद सीबीएसई आदि लिख रहे हैं। सबसे ज्यादा सीबीएसई बोर्ड और उसके बाद यूपी बोर्ड के नामों से गुमराह किया जा रहा है। विभागीय जानकारों के अनुसार, स्कूलों को एफिलिएटेड टू सीबीएसई या फिर यूपी बोर्ड लिखना चाहिए।
मान्यता प्राप्त हैं।
पेन नंबर से चेक होगा एकेडमिक रिकार्ड
शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में बिना मान्यता के स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। ऐसे में बिना मान्यता और मान्यता के आगे पढ़ाई कराने समेत कई मामले हैं।
ऐसे में स्कूल संचालक पढ़ाई तो अपने स्कूल में कराते हैं लेकिन फार्म आदि किसी अन्य मान्यता प्राप्त स्कूल से भरवा देते हैं। गवर्नमेंट की ओर से हर स्कूल में बच्चों को परमानेंट एजुकेशन नंबर दिया जाना है। जिन स्कूलों के पास यू-डायस कोड नहीं है उनके बच्चों को पेन नंबर भी नहीं मिल सकेगा। जबकि नई गाइडलाइन के अनुसार, छात्रों को एकेडमिक रिकार्ड पेन से ही चेक किया जाएगा।
डीआईओएस जगदीश प्रसाद शुक्ल